!!!मुखौटा!!!
!!!!मुखौटा!!!!
************
बात उन दिनों की है। जब कोरोना वायरस एक महामारी देश में आई थी। सभी लोग अपने चेहरे छुपाए घरों में थे। दिन में एक डर सा बना हुआ था। हर व्यक्ति ने अपने आप दूरियां बना ली थी ।लोग अपने आप को घरों में सुरक्षित रखने लगे।
आयशा 25 वर्ष लड़की थीं। वह एक डिजाइनर थी। । अपने ऑफिस से लौट रही थी। आयशा ने अपने अंदर के संगीत को जिंदा रखा। हर शाम आयशा अपनी आवाज में गिटार गुनगुनाती थी।”तू जो मिला” _”कभी-कभी जो बादल बरसे”।
उसकी आवाज एक उम्मीद की तरह गूंजती थी। इस मल्टी में एक चित्रलेखा नाम की लड़की रहती थी। जो महामारी से कम लेकिन अकेलेपन से लड़ रही थी। आज शाम उसने अपने रूम से निकलकर गैलरी में जाकर खड़े होकर पहली बार देखा_आयशा गिटार की धुन में कुछ कुछ गीत गा रही थीं। चित्रलेखा कुछ देर के लिए शांत हो गई। और उसी संगीत की धुन में डूब गई। वह सब भूल गई कि वह अकेली है। उसके अंदर का डर अब निकलने लगा। हर शाम वह आयशा की गिटार का इंतजार करने लगी। उसकी आंखों में चमक थी ।और चेहरे पर मुखौटा। लेकिन उसकी आवाज में जादू था।
आयशा को संगीत का बहुत शौक था ।आते जाते हर व्यक्ति के कानों में उसकी मधुर आवाज सुनाई देती थी। आज शाम को आयशा के घर के सामने एक बालकनी नैना रोज आयशा का मधुर संगीत सुनती थी। नैना एक सामाजिक कार्यकर्ता थी और लॉकडाउन में लोगों की जरूरत का सामान पहुंचती थी ।इस प्रकार वह समाज सेवा में लगी रहती थी। दिनभर की थकान के बाद जब वहां घर आती तो आयशा की गिटार की धुन सुनकर अपनी थकान भूल जाती और मन प्रसन्न हो जाता था। नैना को आयशा से मन_ मन लगाव हो गया। नैना की बालकनी से सिर्फ आयशा के गीतों की आवाज आती थी। उसका मुखड़ा नहीं दिखता था। नैना के मन में यह विचार आता कि इसकी इतनी मधुर आवाज है ।तो यह दिखती कैसी होगी, लेकिन चेहरे पर मुखौटा लगा हुआ था। अब नैना मिलने के लिए बेचैन होने लगी। नैना अपने मित्रों से आयशा के बारे में बताती रहती थी। आयशा की आवाज ने उसकी दिल को जीत लिया था
आज बैठे-बैठे मन में विचार।
आया कि आज आयशा से मुझे मिलना है, कैसे मिलु ,उसका कोई नंबर भी नहीं था। कोरोना के कारण कोई किसी के घर नहीं जाता था। आज शाम के वक्त मौसम बहुत सुहाना था। और आयशा फिर वही गिटार लेकर अपनी धुन में गाना गा रही थी ।नैना से रहा नहीं गया ,और नैना ने एक पत्र लिखा _तुम्हारी आवाज ने मुझे तुम्हारा गुलाम बना दिया। तुम्हारी आवाज में जादू है। हम दोस्त बन सकते हैं क्या ?
और पत्र को एक डोरी की सहायता से उसके अपॉइंटमेंट तक भेज दिया।
जैसे ही आयशा को वह पत्र मिला। आयशा के चेहरे पर वह मुस्कुराहट एक अलग सी थी। वह मन ही मन मुस्कुराने लगी। वह समय ऐसा था जब कोई किसी को मित्र नहीं बना रहा था जो रिश्ते पास थे वह भी दूर जा रहे थे अब आयशा और नैना दोनों अच्छे दोस्त बन गए। दोनों आपस में पत्र के माध्यम से बातें करते हैं। कभी-कभी कॉल पर बात करते ,कभी ऑनलाइन चैट करते हैं। इस तरह दूर रहकर भी दोनों एक दूसरे के पास आ गए। आयशा और नैना ने अभी तक एक दूसरे को नहीं देखा था। दोनों दूर से बातें करते हैं कभी-कभी कॉल पर तो कभी-कभी ऑनलाइन बातें करते हैं। जब भी समय मिलता। वह दोनों आपस में अपनी बचपन की कहानी,पुराने दोस्तों की सूची,अच्छी किताब किस प्रकार संगीत को अपनाया ।इस तरह की दोनों घंटा बातें करके समय बिताने लगे। समय का पता नहीं चलता , है और दोनों एक अच्छे मित्र बन गए।
हालात धीरे-धीरे सुधरने लगे ।और दोनों ने एक जगह तय की ,वहां हम मिलेंगे ।
पहली बार बिना मुखोटे और बिना मास्क के जब दोनों ने एक दूसरे को देखा
तो बिना कुछ कहे गले लग गए।
कुछ पल के लिए दुनिया को छोड़ दिया, उन्हें कुछ याद ही नहीं रहा । कि महामारी चल रही है, और दोनों एक अच्छे दोस्त बन गए। कोरोना वायरस भी धीरे-धीरे कम हो गया ।आयशा और नैना एक साथ रहने लगे। दुनिया ने महामारी में बहुत कुछ खोया, पर उन्होंने एक दूसरे को पा लिया ।और सबसे बड़ी जीत यही थी।
नैना ने कहा, तुम्हारे संगीत ने मेरे दिल को जीत लिया।
तुम्हारी आवाज मेरे दिन का सबसे खूबसूरत हिस्सा है।
आज दोनों मित्र एक दूसरे के सामने बिना मुखोटे खड़े थे।