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27 Jun 2025 · 5 min read

!!!!गलत निर्णय!!!!

!!!!गलत निर्णय!!!
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यह कहानी यह एक ऐसे बालक की है जिसकी उम्र लगभग 9 से 10 वर्ष की थी इसी उम्र में मां का साया उसकी सिर पर से उठ गया lउसके तीन बड़े भाई दो बहने थीl पिताजी एक अच्छी सरकारी नौकरी में पदस्थ थेl परिवार अच्छे से चल रहा था बड़े भाई की शादी हो गई थीl जिस की मां की कमी पूरी हो जायेl बच्चों की देखरेख होती रहेl सब कुछ अच्छा चल रहा था जीवनलाल भी बहुत खुश था l भाभी आ गई है अब मां की कमी पूरी हो जाएगी lलेकिन मां के स्वर्गवास के बाद पिता ने बच्चों पर ध्यान देना छोड़ दियाl इससे जीवनलाल के मन में भी उदासी बनी रहती थीl नई बहू आने पर पिताजी ने केवल बहू की बात माननाशुरू कर दी lवह जो कहती वह वही करते हैं lउनके बच्चे होने पर उनके बच्चों का लालन पालन करना उनका ध्यान रखना lइसी बीच आर्थिक तंगी की वजह से जीवन ने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और कुछ काम धंधा करने की सोचने लगा lएक दिन रात भर काम की तलाश में वह घर नहीं आया और यही सोचता रहा कि ऐसा क्या काम करूं जिससे अपना स्वयं का खर्च निकाल सकूं l इसी बीच दूसरे भाई बहनों की भी शादी हो गई केवल उसकी एक छोटी बहन थी वह विकलांग थी उसकी शादी नहीं हुई जीवनलाल को उस बहन का भी चिंता लगी रहती थी lजीवन के पिताजी जीवन से कभी अच्छे से बात नहीं करते थेl भाभी के स्वभाव में भी परिवर्तन आने लगा l घर पर पूराअधिकार बड़ी भाभी का हो गयाl जीवनलाल ने दोस्तों से मिलकर छोटा-मोटा काम करने की बात सोचीl जीवनलाल एक सीधा-साधा व्यावहारिक लड़का थाl मोहल्ले में सब लोग उसे बहुत चाहते थे बस उसके पिताजी कभी खुश नहीं थे lहमेशा उसे निकम्मा समझते थे l उसने पिताजी से कहा कि आप मुझे कुछ रुपया दे दो जिससे कि मैं छोटी दुकान खोलूंगा lपिताजी ने डांटते हुए कहा कि हुए कहा कि तू निकम्मा कुछ नहीं कर पाएगा l मेरे पास तेरे लिए फूटी कुड़ी भी नहीं है l बेचारा जीवन क्या करता आंखों में आंसू भरता हुआ घर से निकल गया lदिन भर सोचते रहा क्या करूं क्या ना करूंl रात को वापस घर लौटा उसके मन में एक बात आई क्यों ना भाभी से बात करता हूंl क्योंकि भाभी की बात पिताजी अच्छे से मानते हैं शायद वही कुछ मदद कर देगीl
लेकिन शायद जीवनलाल ने कुछ गलत ही सोच लिया था lभाभी ने बात को पूरी तरह से नहीं सुना और बीच में टोकते हुए कहा _की जीवनलाल अब तुम बड़े हो गए हो lछोटे नहीं हो जो तुम्हें अब हमें पालन पड़ेगाl तुम खुद ही कुछ अपनी व्यवस्था करो पिताजी के पास ऐसा कोई रुपया नहीं है l परिवार भी चलना पड़ता है हमारे भी बच्चे हैं स्कूल जाते हैं उनके भी खर्च हैं आपके भैया की कोई इतनी अच्छी कमाई नहीं है तुम अपने किसी दोस्त से मदद मांग लो लेकिन यहां से आपको किसी प्रकार की मदद नहीं मिलेगी जीवनलाल चुपचाप कुछ बिना कहे घर से चला गया l
मन में उदासी थीं जीवन क्या करता lएक सहारा था वह भी छूट गया किससे मदद मांगू कहां जाऊं, पिताजी भाई भाभी सबने मदद करने से मना कर दिया l उसके मन में गलत विचार आने लगे क्या मतलब ऐसी जिंदगी को जीने से जिसमें परिवार का स्नेह नहीं हो l वह घर से चला गया l उसने दोस्तों से बात की दोस्ती ने पूछा क्या बात है जीवन लाल कोई परेशानी है तो हमें बता हम तेरी मदद करेंगे लेकिन जीवन बहुत खुद्दार मिजाज का लड़का था lउसने हंसते हुए कहा नहीं ऐसा कुछ नहीं है l दोस्तों के बार-बार पूछने पर भी जीवन कुछ नहीं बोलता और आंखों से आंसू छलकने लगते l दोस्तों को समझाते हुए बोलने लग नहीं आज भाभी ने घी के लड्डू बनाए थेl तो वही मुझे खाने को दिए तो खाते-खाते मां की याद आ गई और आंखें भर आई l उसके अंदर बहुत सा द्वंद चल रहा थाl लेकिन वह किसी को भी नहीं बता पा रहा था l
लेकिन जीवन की किस्मत ने साथ दिया वह किसी मित्र की मदद से एक दुकान में काम करने लगा दिन-रात काम करता कभी घर आता कभी नहीं आता घर वाले भी उसे नहीं पूछते की जीवन घर क्यों नहीं आया l लेकिन उसके मन में वह कड़वी बातें बार-बार याद दिलाती है और उदास कर रही थी l
आज अचानक के कुछ ऐसा हुआ जीवन को घर की याद आने लगी और वह घर चला गयाl नहा धोकर जैसे ही भोजन के लिए किचन में गयाl उधर से भाभी ने कड़वी भाषा में जीवन से बोलl कहां गए थे आज घर की याद आ गई l जीवन बोला _ हां भाभी काम की तलाश में गया था छोटा-मोटा काम मिल गया है lऔर मेरा गुर्जर बशर हो जाएगा l भाभी ने कहा_तो कुछ राशन पानी ही ले आतेl खाना खाने चले आए l जीवन के सामने रोटी की थाली लगी थीl जैसा ही उसने कोर तोड़ा और भाभी ताने देने लगीl जीवनलाल ने पानी पिया और थाली को प्रणाम कियाl और चुपचाप बिना कुछ कहे l से घर से चला गया l
वह अपनेदोस्तों से मिला l और बोला की यार में भी अब एक घर ले रहा हूं और तुम सब उसे घर में आना l
दोस्तों ने मजाक में जीवन से बोल क्या जीवन लॉटरी लग गई है क्या ? बहुत जल्दी आप लोगों को बुलाने वाला हूं सभी दोस्त खुश हो गए बोल क्या बात है हम जरूर सब आएंगे l जीवन तुरंत ही बिना रुके दोस्तों के पास से चला गया l लेकिन उसके मन में कुछ और ही चल रहा था lउसने किसी दोस्तों को नहीं बुलाया l वह वहां से एक दूर जंगल की ओर चला गयाl दिन भर रात भर वह सुनसान में अपनी विचारों को लेकर भागता रहा lलेकिन उसके मन को शांति नहीं मिली lऔर उसने एक ही निर्णय लिया कि ऐसे जीवन का क्या जिसका कोई मोल नहीं ऐसा परिवार क्या जिसे कोई चाहने वाला नहीं मुझे जीने का कोई अधिकार नहीं और उसने अपने जीवन लीला खत्म कर दी परिवार को इस बात की बिल्कुल भी भनक नहीं थी की जीवन कुछ ऐसा भी कर लेगा lऔर उसने इस दुनिया से अलविदा ले लेली
इस कहानी का यह उद्देश्य है कि मां के जाने के बाद पिता अपनी जिम्मेदारी को निभाने में नाकामयाब हो जाते है l जीवन की जो ख्वाहिश थी वह पूरी ना हो सके lऔर वह निराश हो गया l जीवन कुछ रुपया कमाकर अपने परिवार की जिम्मेदारी निभाना चाहता था लेकिन उसकी ख्वाहिशों को उसके पिता और परिवार ने पूरा नहीं होने दियाlऔर उसने दुनिया से जाने का फैसला ले लिया l बच्चों को पिता का स्नेह और समर्थन नहीं मिल पाता lऔर वह अपनी राह से भटक जाते हैं और एक गलत निर्णय ले लेते हैं l

(जीवन में कितना ही संघर्ष आए पर कभी ऐसा गलत कदम नहीं उठाना चाहिए)
” जीत की आस में तो सब लगे हैं यारों l
संघर्ष भरी दौड़ में कोई भी हिस्सा नहीं लेना।
डॉ मनोरमा चौहान
(मध्य प्रदेश हरदा)
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