मानव है जब जोर लगाता।

गजल
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मानव जब अपनी पर आता।
बड़े-बड़े करतब दिखलाता।।
देखे दिन में ऐसे सपने,
जिनको वह पूरा कर पाता। 1।
नभ जल थल है सबको नापा,
सब पर अपना राज चलाता।2।
न टिकतीं पथ की बाधाऐं,
जब वह अपनी शक्ति दिखाता। 3।
जो एक मेव जंगल का राजा,
बाॅंध उसे भी घर ले आता।4।
बड़े-बड़े जो नाग विषैले,
एक सपेरा उन्हें नचाता।5।
जहाॅं पहुॅंचना तनिक न संभव,
उन शिखरौं पर वह चढ़ जाता। 6।
शिखर पुंज पर्वत ढ़य जाते,
मानव है जब जोर लगाता। 7।
~राजकुमार पाल (राज) ✍🏻
(स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित)