बारिश की बूँदें लिए, आ पहुँचा आषाढ़।
बारिश की बूँदें लिए, आ पहुँचा आषाढ़।
धरा-गगन का प्रेम फिर, होगा गुरुतर गाढ़।।
वो बूँदें आषाढ़ की, वो सुंदर संसार।
सोच रही है मल्लिका, कहाँ गया वो प्यार।
ख़ूब निभाया रामजी, ख़ूब रखा है ध्यान।
पहली बारिश देखकर, भावुक हुआ किसान।।
हरडे, नीबू, सौंफ का, नियमित करें प्रयोग।
इसीतरह आषाढ़ में, ख़ुद को रखे निरोग।।
डा सीमा विजयवर्गीय