हाथ मिलाते बच्चे
हाथ मिलाते बच्चे
गुरु चरण से दूरी बनाए, हाथ मिलाते बच्चे।
जानें क्या-क्या हम सिखलाएंँ, जो हैं सीधे सच्चे।।
पश्चिम जैसा सभ्य बनाएँ, अपने आप भुलाए।
गौरवशाली अपनी परंपरा, अब किसको समझाए।।
गुरु करते बस यहाँ चाकरी, जो फरमान सुनाया।
बिना देर हम उसे अक्षरशः, फटाफट कर दिखाया।।
कहें किसे हम कौन सुनेगा, किसको हम समझाएँ।
आने वाली पीढ़ी को अब, रब हीं पाठ पढ़ाएँ।।
बच्चों की है चिंता जिनको, नैतिकता को भूलें।
लाख कोशिशें होती फिर भी, कुछ तो झूला झूलें।।
खेल-कूद को मिले बढ़ावा, गुरु की महिमा सूना।
दौड़ रहा कागज पर घोड़ा, लगता रहता चूना।।
करने वाले हीं बस करते, बाकी बनें नमूना।
राग सुनाते वह हीं ज्यादा, जिनसे बना खिलौना।।
अब आगे जाने क्या होगा, किसको यहाँ पता है।
पाठक भी कुछ बोल न पाये, बोली यहाँ खता है।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश, पालीगंज, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978