अधर्म, असत्य, अन्याय के विरुद्ध होना चाहता हूँ।
अधर्म, असत्य, अन्याय के विरुद्ध होना चाहता हूँ।
धर्म, सत्य,न्याय को अपना शुद्ध होना चाहता हूँ।
निज अन्तर्मन से अन्धकार को सदा के लिए मिटा,
अहिंसा परम धर्म को अपना बुद्ध होना चाहता हूँ।।
स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी” राम”
उन्नाव (उत्तर प्रदेश)