18) यह कष्ट मनुज का साथी है, यह कष्ट मार्ग दिखलाता है (राधेश्या
यह कष्ट मनुज का साथी है, यह कष्ट मार्ग दिखलाता है (राधेश्यामी छंद )
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1)
यह कष्ट मनुज का साथी है, यह कष्ट मार्ग दिखलाता है।
कष्टों में ही मानव जीवन, नव-शक्ति प्राण नव पाता है।।
2)
कष्टों में आलस भाग गया, कष्टों में नव-चेतना मिली।
कष्टों में मिलती नव-राहें, कष्टों में मन की कली खिली।।
3)
कष्टों में कॉंटे चुभते हैं, यह शुद्ध रक्त कर जाते हैं।
कष्टों में जागृत देह हुई, मस्तिष्क प्रखरता पाते हैं।।
4)
कष्टों में पता चले अपने, जो सचमुच साथ निभाते हैं।
केवल कहने भर के हैं जो, वे मित्र पता चल जाते हैं।।
5)
कष्टों में प्राण निखरते हैं, काया कंचन बन जाती है।
पत्थर पर जैसे पीट-पीट, कपड़ों पर रंगत आती है।।
6)
कष्टों को मत दुर्भाग्य कहो, उनको मत रोको आने दो।
कष्टों को तांडव करने दो, उनको तन पर छा जाने दो।।
7)
भीतर की शक्ति जगाता है, प्रत्येक कष्ट वरदानी है।
पत्थर जैसे घिसता चाकू, कष्टों की यही कहानी है।।
8)
हर कष्ट हमें बल देता है, साहस हम में भर जाता है।
कष्टों से जो जन जूझ लिया, वह जग में कब घबराता है।।
9)
प्रभु हमें कष्ट दो कितने ही, पर उनसे लड़ना सिखलाना।
कष्टों के बादल चीर-चीर, दिनकर-सा हमको चमकाना।।
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रचयिता: रवि प्रकाश