योग दिवस
योग के विषय पर हम सामान्यतः कहाँ लिख पाएंगे
योग नहीं व्यायाम मात्र तन का कैसे समझा हम पाएंगे
योग का अर्थ ध्यान संयम से और ब्रह्मचर्य के पालन से
योग का अर्थ आत्म उन्नति के साथ उसके अनुशासन से
जुड़ जाए आत्मा का तार उस अखण्ड ब्रह्मांड की शक्ति में
और प्रखर हो ज्ञान से चक्र सभी चेतना के उन्नत प्रशासन से
मूलाधार से ब्रह्म रन्ध के नित तरंगो कों कैसे पाएंगे
अपने अस्तित्व को उस शक्ति से कैसे जोड़ हम पायेंगे
योग का अर्थ जोड़ना है उस शक्ति की पावन तरंगो से
अपने मूल में जाकर अपनी आत्मा की शांत उमंगो से
सम्पर्क कभी जब हो जाए तन से ऊपर मन से यदि
सफल योग तब हो जाता मिलता जब भाव विभंगो से
उत्कृष्ट चरित्र हो निर्मल मन यदि हम बना पाएंगे
तभी योग दिवस के अर्थ को जीवन में अपनाएंगे
संगीत दिवस भी आज बंधुवर उसकी भी कुछ चर्चा हो
सात सुरों की सरगम की योग में भूमिका परिचर्चा हो
श्वांसो को साधना अनिवार्य दोनों में सत्य मूल में जाओ
फिर साध कर ध्यान के साथ सुरों का निश्चित खर्चा हो
यही सफल होगा यदि प्रयास धरा पर हम कर पाएंगे
होंगे निरोग तन और मन से ईश कृपा को गा पायंगे
स्वरचित आज योग दिवस पर