योग अपनाइए - मनहरण घनाक्षरी
योग अपनाइए – मनहरण घनाक्षरी
भाग- (०१)
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रखना नीरोग काया,
सफल करे जो माया,
समझ इसे जो पाया, अब आगे आइए।
तन-मन खिल उठे,
अपने न कोई रूठे,
बनते नहीं हैं झूठे, सब सुख पाइए।
रोग शोक दूर रहे,
योग जब संग रहे,
प्रेम से विकास गहे, सबको बताइए।
विकार का नाश करे,
मन में उल्लास भरे,
सबका संताप हरे, योग अपनाइए।
भाग- (०२)
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आत्मा परमात्मा मिले,
संकल्प के फूल खिले,
मिट जाते सारे गिले, समझ बनाइए।
विविध प्रकार यह,
लेकर विस्तार यह,
सबसे रहा है कह, जीवन सजाइए।
सभी एक मंच पर,
आ गया है विश्व भर,
योग शुभ ध्यान धर, दिवस मनाइए।
सोंच न बने बाधक,
बनिए आज साधक,
कहता सदा पाठक, योग गीत गाइए।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश, पालीगंज, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978