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20 Jun 2025 · 1 min read

क्या खूब है पहली बारिश

क्या खूब है पहली बारिश का, धरा के आलिंगन में बंध जाना,
खामोशी को सींचती प्यासी बूँदें और, सौंधी खुशबू का ये नजराना।
हवाओं में घुली मोहब्बत का, शहरों को लांघ कर चले आना,
रूह से टकराती तेरी यादें और, भूली गीतों का अधर पर मुस्काना।
तन्हा सांझ के क्षितिज तक, स्याह बादलों का ये सफरनामा,
एहसासों की ठंडी राख और, दहकती ख्वाहिशों का अजीब आशिकाना।
राहों में उड़ते पत्तों का, अपने दरख्तों के लिए तरस जाना,
कुछ क़दमों की रही आवारगी और, कुछ दहलीज़ों का रहा ठुकराना।
भींगी फ़िजा की चादर में, सुकूं का चुपके से इतराना,
कानों में गूंजती तेरी आहटें और, मदहोशी में डूबा हुआ एक ज़माना।

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