सास किचन में बहु टहलते देख रहे हैं
अब घर का माहौल बदलते देख रहे हैं
सास किचन में बहु टहलते देख रहे हैं
दूसरों को परेशान करने वाले जालिम
तेरी आस्तीन में सांप पलते देख रहे हैं
जी चाहता है तेरी क़दमों को चूम लूं
जब तुझे मस्जिद से निकलते देख रहे हैं
इस बार भी बारिश में छत टपकेगा
मौसम का मिज़ाज बदलते देख रहे हैं
शाही दस्तरखान पर खाना खाने वाले
भूखे बिस्तर पे करवट बदलते देख रहे हैं
खिलौना खेलने की उम्र में आज के बच्चे
मोबाइल के लिए मचलते देख रहे हैं
ज़मीं से दरख्तों को उखाड़ने की सज़ा
सर्द मौसम में बर्फ़ पिघलते देख रहे हैं
अंधेरे ने तो हमें डरा ही दिया था मगर
उम्मीद की किरन निकलते देख रहे हैं
जिंदगी आसान लगने लगा है नूरी
तुफान से कश्ती खेलते देख रहे हैं।
नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर