प्रेम

प्रेम
प्रेम को जीवंत सदा बनाए रहा कीजिए।
प्रेम एक गंगा है, बहाते रहा कीजिए।
रिश्तो में कभी दूरियां ना बढ़ने पाएं,
आपस में मिलते मिलाते रहा कीजिए।
प्रेम सत्य है इस क्षणभंगुर जीवन का,
दो दिलों का साथ निभाते रहा कीजिए।
प्रेम सागर है उथले में तैरना कैसा,
गहराई में डूबकर पार किया कीजिए।
प्रेम तेरा मेरा ये जग समझेगा क्या,
त्याग और सम्मान बनाए रहा कीजिए।
गुलों की तरह सदा मुस्कुराए जीवन,
हाथ साथी का सदा थामे रहा कीजिए।
राह प्रेम की हो भले ही कठिन मगर,
कर्म पर भरोसा बनाए रहा कीजिए।
सफलता की कुंजी तुम्हें बतलाऊं कैसे,
जीवन में सदा, मुस्कुराते रहा कीजिए।
वक्त हरदम एक सा रहता नहीं है ‘प्रेम’,
साथ अपनों का निभाते रहा कीजिए।
इति।
संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश
9425822488