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19 Jun 2025 · 1 min read

दोहा सप्तक. . . . . बातें

दोहा सप्तक. . . . . बातें

वाणी वो किस काम की, दिल में कर दे छेद ।
दिल में ऐसे आदमी, रखते अपने भेद ।।

बातों के धनवान पर, कर्मों से कंगाल ।
जीवन में रहते नहीं, बातूनी खुशहाल ।।

बात बनाये बात से, बिगड़े जो हालात ।
बातें अक्सर बात का, भर देती आघात ।।

बात करें ईमान की, भूले सच्चा कृत्य ।
कर्मों की बिसात पर, धोखा करता नृत्य ।।

बातों से इंसान की, कब होती पहचान ।
सच्चाई के खोल में, यह बेचें ईमान ।।

बात-बात पर जो करे, गिरगिट सा व्यवहार ।
उसकी बातों से सदा, दूर रहे संसार ।।

बात वही है काम की, जिससे छलके प्यार ।
जो नफरत की तोड़ दे, रिश्तों में दीवार ।।

सुशील सरना / 19-6-25

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