दोहा सप्तक. . . . . बातें
दोहा सप्तक. . . . . बातें
वाणी वो किस काम की, दिल में कर दे छेद ।
दिल में ऐसे आदमी, रखते अपने भेद ।।
बातों के धनवान पर, कर्मों से कंगाल ।
जीवन में रहते नहीं, बातूनी खुशहाल ।।
बात बनाये बात से, बिगड़े जो हालात ।
बातें अक्सर बात का, भर देती आघात ।।
बात करें ईमान की, भूले सच्चा कृत्य ।
कर्मों की बिसात पर, धोखा करता नृत्य ।।
बातों से इंसान की, कब होती पहचान ।
सच्चाई के खोल में, यह बेचें ईमान ।।
बात-बात पर जो करे, गिरगिट सा व्यवहार ।
उसकी बातों से सदा, दूर रहे संसार ।।
बात वही है काम की, जिससे छलके प्यार ।
जो नफरत की तोड़ दे, रिश्तों में दीवार ।।
सुशील सरना / 19-6-25