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19 Jun 2025 · 1 min read

नवनिधि क्षणिकाएँ---

नवनिधि क्षणिकाएँ—
19/06/2025

बचपन की यादें
भुलाये नहीं भूलते
अब आते हैं सपनों में
बच्चों में निहारता हूँ खुद को।

वो शरारतों का दौर
सारी बदमाशियां
स्मृतियों में कैद हैं
निकलकर खुश होते।

माँ का स्नेहिल आँचल
पिता का सहलाता हुआ हाथ
बहन के साथ झूठे झगड़े
बालमित्रों के साथ शरारत
खुशशबूदार बनाते मुझको।

अभी भी जिंदा है
मेरे अंदर का बच्चा
जो सक्रिय रखता है
अंतःकरण को हर पल।

बचपन सतयुग है
किशोरावस्था द्वापर
यौवन है त्रेतायुग
प्रौढावस्था कलियुग है।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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