दोहा

दोहा
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करते रहो सुकर्म तुम, मत सोचो मन माय।
यह मोक्ष का मार्ग है, बिन सुकर्म कछु नाय।।
बुरा काम जब भी करो, तब सोचो सौ बार।
राज कर्म ही तय करे, जीवन का आधार।।
~राजकुमार पाल (राज) ✍🏻
(स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित)