मानव की रक्षा..!
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मानव ही मानव की रक्षा नही कर रहा।
ये चीन देश का मानव नही समझ रहा।।१।।
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लापरवाही से कोरोना वायरस फैलाया।
चीन ! दुनिया का प्रतिनायक कहलाया।।२।।
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दुनिया में कोरोना से कई बे-मौत मर गये।
कितने ही जीवन के सपने- अधूरे रह गये।।३।।
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चाइना दुनिया पर राज करना चाहता है।
माल अपना- दुनिया में बेचना चाहता है।।४।।
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बड़े चाव से लोग! चाइना-माल खरीदते है।
चाइना पतंग डोर से लोग! बे-मौत मरते है।।५।।
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चाइना-माल! का कई बार किया है विरोध।
देशवासियों ने सरकार से किया है अनुरोध।।६।।
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पर कोई सुनता क्यों नहीं है- अपने देश में।
धड़ल्ले से बिक रहा है चाइना-माल देश में।।७।।
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युद्ध हो चाहे वायरस- होगा मानव विनाश।
प्रकृति के साथ होगा- समस्त जीव विनाश।।८।।
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पर क्यों लड़ते है आपस में- भू के हम मानव।
इस भू पर ईश्वर की संतानें है सब हम मानव।।९।।
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आओं! हम धरा के सभी देशवासी आगे बड़े।
मानवता की लाज रखे, प्रेम-पथ पे आगे बड़े।।१०।।
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आज शपथ लेते है हम! जग के सब मानव।
एक-दूसरे का सुख-दुख बाटेंगे- हम मानव।।११।।
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जब-तक धरती पर रहेंगे- हम मानव जाति।
कभी आपस में न लड़ेंगे- हम मानव जाति।।१२।।
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एक बार जीवन मिलता है- मानव जाति का।
सत-कर्म करो- होगा उद्धार मानव जाति का।।१३।।
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आज प्रण ले हम! एक-दूसरे की रक्षा करेंगे।
और हम! अपनी धरती माता की रक्षा करेंगे।।१४।।
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विश्व के समस्त देशों को संधि करना होगा।
भविष्य में मानव को- युद्ध ना करना होगा।।१५।।
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तभी ये मानव जाति- धरा पर सुरक्षित होगी।
और भू से मानव जाति- कभी लूप्त न होगी।।१६।।
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————————————-(०३/१०/२०२३).
: रचयिता: प्रभुदयाल रानीवाल*:==========:
:======:उज्जैन{मध्यप्रदेश}*:==========:
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