चँद अल्फाज़
हमने उकेरे चँद अल्फाज़,जिन्दगी की बेमानियो के!
आपने नाम ‘ग़ज़ल’दे दिया,ज़र्रानवाजी है आपकी!!
कहता हू हर बशर, शायद ना हो किसी काम का,
मुझको कोई टोके, जुर्रत नही किसी के बाप की!!
इस दुनिया के सभी रिश्ते, सिर्फ मतलब के लिए,
फर मतलब के लिए लिपटते,फितरत है साप की!!
बेटा कहता है अब्बा हुजूर,वहा भी मतलब जुरूर!
‘खडा करदे मुझे पैरो पै’,इतँजार है मौत बाप की!!
बाप कहे औलाद मेरी. तू क्या जाने औकात तेरी?
वो भी ढूढँता है ज़नाब,बुढापे की लकडी आपकी!!
मँ| ने रखा नो माह कोख मे.जानती हर सोख मे,
बीबी मुहब्बत की दे दुआए,जब जेब भरी आपकी!!
भाई-बहन,चचा-ताऊ,किस किसकी दास्तँ| सुनाऊ?
फरेबी रिश्तेदारियँ|,जब तलक न खुले ऑख आपकी!!
छोड इन सब रिश्तेनाते,बस ज़ह़न मे ये ख्याल आते,
टूट जाएगे जँहँ| से जाते,लौ लगा पार करदे आपकी!!
बशर=आदमी.मानव
सर्वाधिकार सुरछित मौलिक रचना
बोधिसत्व कस्तूरिया एडवोकट,कवि,पत्रकार
202नीरव निकुजँ.सिकँदरा,आगरा-282007
मो:9412443093