बुन्देली दोहा - रनवन (अस्त-व्यस्त)
* #बुंदेली – #रनवन (#अस्त_व्यस्त)*
#राना रनवन ना रओ,समरौ भइया आप।
करियौ नौनें काम सैं,जग में अपनी छाप।।
गैल गली अरु गाँव में,नगर शहर देहात।
#राना रनवन जो रयैं,मिटा लेत औकात।।
रनवन बिगड़ी जिंदगी,जो जीते हैं लोग।
#राना उनखौं जानिए,पालें रहते रोग।।
रनवन रत हैं आलसी,सबरी चिंता छोड़।
इसथिर राखत जिंदगी,कभउँ न लेतइ मोड़।।
रनवन जिनकौ राज है,प्रजा दुखी दिखलाय।
#राना कौसत रात दिन,कैसे राजा पाय।।
*** दिनांक -16.6.2025
✍️ #राजीव_नामदेव”#राना_लिधौरी”
संपादक “#आकांक्षा” पत्रिका
संपादक-‘#अनुश्रुति’त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
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