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15 Jun 2025 · 1 min read

ये दिल तो गुम है

ये दिल तो गुम है किसी के प्यार में ।
मरने वाले हो गये हम दिन चार में।

जाने वो कब उठाये रुख़ से नक़ाब
आंखें मसरूफ़ हैं इसके इंतज़ार में ।

वो बार-बार पलकें गिरा कर उठाए
क्या ये इकरार है उनके इनकार में।

खुली जुल्फें जब , घटाएं छाने लगी
बहके मन ऐसे मौसम खुशगवार में ।

नज़र ऐ कर्म करो थोड़ा नाचीज़ पर
कब से खड़े हैं हम तेरे तलबगार में।

सुरिंदर कौर

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