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15 Jun 2025 · 1 min read

महा कुंभ

देवासुर संग्राम में, बना सुखद संयोग |
सागर मंथन जब हुआ, महा कुम्भ था योग ।।

मकर कुम्भ की राशि में,गोचर होता जान |
सूर्य चंद्र शनि देव का , महा कुम्भ में मान ।।

पीली चुनरी ओढ़ ली, खेतों ने ऋतुराज |
धानी धनिया की महक,बुला रही है आज। ।

सरसों लाही झूमती, पीत वस्त्र को धार |
यह स्वर्णिम उपहार है,खुशियों का त्यौहार।।

ऋतु बसंत है आ रहा, जैसे ओ ऋतुराज |
शीतकाल होता विदा, झंकृत कर हिय साज ।।

सरस्वती पूजन करें, नव वर्ष को मान |
माँ सरस्वती दे रही, ज्ञान बुद्धि वरदान ।।

राशि बारहों का भ्रमण, ,करते हैं गुरू देव |
वृषभ राशि में ही सुखद , पूर्ण कुम्भ शुचि मेव ||

गोचर बारह पूर्णकर , वृषभ राशि में आन |
बृहस्पति गुरू देव जो , महा कुम्भ की शान ।।

माँ सरस्वती अवतरित, ब्रह्मा मुख से आज |
महा सरस्वती जयंती , ज्ञान बुद्धि शुचि साज ।।

सूर्य चंद्र हो सीध में, पृथ्वी इनके मध्य |
माघ मास की पूर्णिमा, पूर्ण कुम्भ में सध्य ||

डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव प्रेम

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