महा कुंभ
देवासुर संग्राम में, बना सुखद संयोग |
सागर मंथन जब हुआ, महा कुम्भ था योग ।।
मकर कुम्भ की राशि में,गोचर होता जान |
सूर्य चंद्र शनि देव का , महा कुम्भ में मान ।।
पीली चुनरी ओढ़ ली, खेतों ने ऋतुराज |
धानी धनिया की महक,बुला रही है आज। ।
सरसों लाही झूमती, पीत वस्त्र को धार |
यह स्वर्णिम उपहार है,खुशियों का त्यौहार।।
ऋतु बसंत है आ रहा, जैसे ओ ऋतुराज |
शीतकाल होता विदा, झंकृत कर हिय साज ।।
सरस्वती पूजन करें, नव वर्ष को मान |
माँ सरस्वती दे रही, ज्ञान बुद्धि वरदान ।।
राशि बारहों का भ्रमण, ,करते हैं गुरू देव |
वृषभ राशि में ही सुखद , पूर्ण कुम्भ शुचि मेव ||
गोचर बारह पूर्णकर , वृषभ राशि में आन |
बृहस्पति गुरू देव जो , महा कुम्भ की शान ।।
माँ सरस्वती अवतरित, ब्रह्मा मुख से आज |
महा सरस्वती जयंती , ज्ञान बुद्धि शुचि साज ।।
सूर्य चंद्र हो सीध में, पृथ्वी इनके मध्य |
माघ मास की पूर्णिमा, पूर्ण कुम्भ में सध्य ||
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव प्रेम