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20 Jun 2025 · 1 min read

जिंदगी की शाम

गर जिंदगी की शाम है
खुद का हाथ थाम के
खुदी को सहारा दे दो
उलझनों से किनारा कर लो

औरों से है क्यों बाॅध रहा
उम्मीदों की ये ङोर
अन्धेरों से क्यों भय पाला
फिर फिर आयेगी भोर

हर उम्र में हसीन है जिन्दगी
खूबसूरती का नजारा कर लो
खुदी को सहारा दे दो
उलझनों से किनारा कर लो

चित्रा बिष्ट

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