* मुक्तक *
* मुक्तक *
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दुर्घटनाएं हो जाती हैं, जहां तनिक हो जाती चूक।
और सभी बस रह जाते हैं, सहसा बनकर दर्शक मूक।
बहुत जरूरी बात यही है, हर संभव हम करें सुधार।
जीवन में आगे बढ़ने हित, बात पते की हो दो टूक।
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समय कहर जब भी ढाता है।
पल भर में सब मिट जाता है।
लेकिन चूक कहां कर बैठा।
मानव समझ नहीं पाता है।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य