किसी से किसी ने,किसी को कहा क्या
ग़ज़ल
किसी से किसी ने,किसी को कहा क्या ,
हवा गर्म होने लगी फिर , सुना क्या ।
गिरा , साँस टूटी , लड़ी ज़िंदगी की ,
इलेक्शन की चलने लगी फिर हवा क्या ।
खुली आँख से सब के सब सो गए जब ,
निशाँ मिट गए यार , गिनती हुआ क्या ।
इधर हादसा फिर ,उधर हादसा है ,
लगी आग चारों तरफ़ ,कुछ बचा क्या ।
शरारत की सारी, हदें पार कर लीं ,
कहा हमने जिसको , बिचारा मरा क्या ।
छपे नाम सारे ,किताबें खुली जब ,
बिना बोल बोले , वो हमदम रुका क्या ।
क़ज़ा देख कर काँपती ,कुछ न बोली ,
ठहर सी गई “नील”, गुलशन हँसा क्या ।
✍️नील रूहानी….
नीलोफर ख़ान …