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13 Jun 2025 · 1 min read

ऐसा हुआ कमाल

हास्य कुंडलियां
चलते चलते एक दिन, ऐसा हुआ कमाल
आना था घर पे मगर, पहुंच गए ससुराल
पहुंच गए ससुराल, हुए सब हक्के-बक्के
देखा जो उस ओर, लगे झटके पे झटके
कहे सूर्य कविराय, रहो बीबी से डरते
हो जाता चालान, कार में चलते-चलते।

सूर्यकांत

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