ऐसा हुआ कमाल
हास्य कुंडलियां
चलते चलते एक दिन, ऐसा हुआ कमाल
आना था घर पे मगर, पहुंच गए ससुराल
पहुंच गए ससुराल, हुए सब हक्के-बक्के
देखा जो उस ओर, लगे झटके पे झटके
कहे सूर्य कविराय, रहो बीबी से डरते
हो जाता चालान, कार में चलते-चलते।
सूर्यकांत
हास्य कुंडलियां
चलते चलते एक दिन, ऐसा हुआ कमाल
आना था घर पे मगर, पहुंच गए ससुराल
पहुंच गए ससुराल, हुए सब हक्के-बक्के
देखा जो उस ओर, लगे झटके पे झटके
कहे सूर्य कविराय, रहो बीबी से डरते
हो जाता चालान, कार में चलते-चलते।
सूर्यकांत