कल्पना
कल्पना
वो क्या है हमारे दरम्यान
एक अजीब सा अहसास होना,
कुछ तलब सी जड़ गई है
दिन रात मेरा परेशान होना।
ये पृशा सुकून की मिल रही,
ख्वाब हकीकत या हो कल्पना।
तेरे मेरे बिच में कुछ तो है
जो तु ना जानी ना मै जाना,
ऐसा लगता है कोई जादू है
दिल का मेरे तिनोवक्त बेकाबू होना।
ये पृशा सुकून की मिल रही,
ख्वाब हकीकत या हो कल्पना।
दिल कहता है मेरा मुझसे
ऐसे ही होता है प्यार का होना,
तेरे दिल की भी करीब आके जानु
काश संभव होता मेरा गुप्त होना।
ये पृशा सुकून की मिल रही,
ख्वाब हकीकत या हो कल्पना।
वो क्या है हमारे दरम्यान, एक अजीब सा अहसास होना……
स्वरचित – कृष्णा वाघमारे, जालना, महाराष्ट्र