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12 Jun 2025 · 1 min read

मुक्तक ....

मुक्तक ….
ख़िदमते ख़ल्क़ इबादत है ,ज़रा समझो तुम ,
ये भी तो रब की इनायत है , ज़रा समझो तुम,
ज़िंदगी यार की गुलज़ार , बनाकर चलना ,
मिल गई जो,वो अताअत है ,ज़रा समझो तुम।
✍️नील रूहानी,,, 12/6/2025

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