यादों के चिट्ठे

मित्र समय एक ऐसा चक्र हैं, जिसे कोई रोक नहीं सकता, उम्र एक ऐसी पड़ाव पर खड़ी हैं, जहाँ से व्यक्ति पीछे जाने को सोच नहीं सकता हैं, रिश्ता मर्यादा, संस्कार, आदर, आचरण की दुहाई देते हैं, जिनको हमें निभाना होता हैं, इस राह की मंजिल में अकेले ही हमें चलना हैं, तेरे यादों की मुलाकातों के एहसास एक पीटारी में बंद कर आगे बढ़ना हैं, वैसे तो तुम्हारी हर एक यादें एहसास मेरे मन के तार में एक साथ हर पल जुड़ी हैं, जिन्हे दूर कर पाना, बहुत ही मुश्किल हैं, साथ में अप्रिय घटनाएं ऐसी घटी जिसका घाव आजीवन नहीं भरने वाला हैं।
हम इस कहानी के मोड़ में अकेले ही खड़ा हैं, इस समय में आगे चलते चलते काश कोई साथी मिल जाए, जो आगे कुछ रास्ता साथ साथ बिताएँ, कोई आगे या पीछे या साथ साथ ही अत्तिम सफर पर चले, मृत्यु ही सत्य हैं, श्मशान ही मन्दिर हैं, चिताएँ ही मूर्ति हैं, शव के साथ आने वाले व्यक्ति तीर्थक हैं, अग्नि ही समाधि हैं, श्मशान एक ऐसा तीर्थ स्थल हैं, जहाँ लगभग – लगभग सभी को जाना हैं, श्मशान ही तीर्थ पूजा स्वीकार करना हैं, श्मशान ही माया में ज्ञान का सच्ची पाठशाला हैं, जो सब कुछ प्रत्यक्ष दर्शन कराती हैं।
अन्तिम सफर हैं २
हम यू चले
सूर्य के उदारता सा हम ढले
रिश्वत की झोली लिए यू खड़े
जख्म आरजू के यू पड़े – २