कैसा आया यह समय,हुआ कलंकित प्यार।

कैसा आया यह समय,हुआ कलंकित प्यार।
निज स्वामी का कर हनन,बोले झूठ अपार।।
कोई ड्रम में बन्द कर, मेटे सच्चा प्यार।
खोई संस्कृति प्यार की,दूषित हुए विचार।।
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
कैसा आया यह समय,हुआ कलंकित प्यार।
निज स्वामी का कर हनन,बोले झूठ अपार।।
कोई ड्रम में बन्द कर, मेटे सच्चा प्यार।
खोई संस्कृति प्यार की,दूषित हुए विचार।।
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम