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11 Jun 2025 · 1 min read

भुजंगप्रयात छंद

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भुजंगप्रयात छंद- वर्णिक,
मापनी-122 122 122 122
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सुनो शारदे माँ पुकारें तुम्हीं को ।
खड़े द्वार टेरें निहारें तुम्हीं को।।
बहा दो नये छंद की ज्ञान धारा ।
बसा दो नया भाव हे मात! प्यारा ।।
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दुलारी पुकारें बचा लो भवानी ।
बड़ी मर्मभेदी सभी की कहानी ।।
नहीं नैन में है बचा मात पानी‌ ।
बड़ा प्रश्न कैसे बचायें जवानी ।।
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महेश जैन ‘ज्योति’
मथुरा ।
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