पर, उन आंसुओं का क्या?
जहाज पर बैठने का सपना लिए,
लंदन जाने के लिए निकले थे वो,
भाई बहन से, बेटा पिता से,
पति पत्नी से,
मिलने का सपना लिए,
सात समुंदर पार जाने का सपना लिए,
विमान में वह बैठे थे,
सात घंटे की यात्रा,
सात मिनट भी न चल पाई,
एक ने तो जान बचा ली,
पर, बाकी का क्या?
एक करोड़ तो दे दोगे,
पर, उन आंसुओं का क्या?
सच है, जाने वाले लौट के आते नहीं,
गुम हो जाते हैं वह कहीं,
ना मां उन्हें खोज सकती है,
ना पिता,
बस रो सकते हैं उनकी यादों में,
कौन जाने क्या हो जाए पल भर में,
पैसे तो तुम दे दोगे,
पर जाने वालों का क्या?
उन आंसुओं का क्या ?
——– प्रणव राज