कविता- "विश्वास की हार"
भले ही लड़कियां विकास की दौड़ में आगे निकल गई
लेकिन विश्वास में वें बहुत पीछे छूट गई
वें पीछे छूट गईं हैं..
एक बेटी के रूप में
एक बहन के रूप में
एक पत्नी के रूप में
एक प्रेमिका के रूप में
शायद यही उनकी सबसे बड़ी हार है..
– सूर्यकांत चतुर्वेदी (Suryakant Chaturvedi)
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