बात कुछ यू है
काँच जैसा दिल है फिर भी मुस्कुराता तो है।
टूटकर हर बार खुद को ही सजाता तो है।
धूप में चलकर भी साया ढूँढ लाता है कोई,
प्यास जितनी भी हो, दरिया सा बहाता तो है।
वक़्त की मारों ने चेहरे से चमक छीनी,
ख्यालों में हर रोज़ फिर भी तू नज़र आता तो है।
लाख कोशिश कर लो फिर तन्हा नहीं करता मुझे,
एक जज़्बा दिल के अंदर जगमगाता तो है।
हाथ ख़ाली हैं मगर नीयत बड़ी रखते है हम,
कोई दर खोले न खोले, खटखटाता तो है।
राह जितनी भी हो उलझन से भरी, मेरे रब,
एक सपना रात में हर रोज़ आता तो है।
तू नहीं है पास पर एहसास जिंदा है तेरा,
आइने में रोज़ तू भी मुस्कुराता तो है।
रात के सन्नाटे में आवाज़ आती होगी,
कोई दीवाना कहीं तुझको बुलाता तो है।
तेरे जाने से ये दुनिया मेरी खाली है,
कुछ तो बाकी है ये दिल अब भी निभाता तो है।
धड़कनों में गूंजता है नाम तेरा ही,
अब तलक ये इश्क़ दोनों को सताता तो है।
तेरी तस्वीरों से अब तक , गुफ़्तगू करता हूँ मैं,
ये जुनूँ भी हिज़्र के ग़म को बढ़ाता तो है।
वो पुराना खत तिरी ख़ुशबू लिए रख्खा हुआ,
छूना उस काग़ज़ का भी मुझको रुलाता तो है।
इश्क़ ने छीना था नीदें, चैन, बातों को,
फिर जुदाई का वो लम्हा भी डराता तो है।