*ओ मेरी जीवन साथी तुम, जीवन का असली धन हो (गीत)*
ओ मेरी जीवन साथी तुम, जीवन का असली धन हो (गीत)
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ओ मेरी जीवन साथी तुम, जीवन का असली धन हो
1)
साथ नहीं देते जब सब धन, तुम ही साथ निभातीं
कठिन समय में मैंने पाया, काम सिर्फ तुम आतीं
कुछ कहने की नहीं जरूरत, मेरा तुम अंतर्मन हो
2)
वृद्धावस्था बड़ी जटिल है, रोड़े यह अटकाती
जीवन की गाड़ी राहों पर, मुश्किल से बढ़ पाती
सब में मिली औपचारिकता, केवल तुम अपनापन हो
3)
जीवन के रण में तुम प्रियतम, हो ताकत सिंदूरी
साथ तुम्हारा घर में जैसे, दीपक की लौ पूरी
तुम सुगंध हो युगों-युगों की, लगती जैसे उपवन हो
ओ मेरी जीवन साथी तुम, जीवन का असली धन हो
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451