Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
8 Jun 2025 · 4 min read

*मौत निश्चित है*

मौत निश्चित है
बहुत समय पहले की बात है। एक गांँव में एक नव दम्पत्ति रहता था। वह आपस में एक दूसरे से बहुत प्यार के साथ जीवन यापन कर रहे थे। उन पति-पत्नी का प्यार देखकर गांँव वाले व अन्य पुरुष एवं महिलाएंँ भी उनसे सीख लेती थी। उस दम्पत्ति के पास जमीन का एक भी टुकड़ा नहीं था। पति रोज मेहनत-मजदूरी करके अपना जीवन यापन चला रहा था। पत्नी ने जब देखा, कि रोज- रोज की मजदूरी से खर्च भी पूरे नहीं हो रहे, तो उसने पति से कहा, कि आप कहीं बाहर कमाने के लिए चले जाओ, ताकि कुछ इकट्ठा पैसा मिल जाए और हम अपने आने वाले कल को अच्छा बना सके। यह बात उस पति के समझ में आ गई और वह गांँव वालों के साथ पत्नी को समझाकर, कि घर पर अच्छे से रहना और किसी भी बात की चिन्ता मत करना, कहकर बाहर कमाने के लिए चला गया।
पत्नी घर पर थी और उसका प्रिय पति बाहर चला गया। वह पति के बिना उदास रहती और मारी-मारी सी दिखाइए देती थी। उसने एक-एक दिन तभी से गिनना शुरू कर दिया था जब से उसका पति बाहर गया था। पति ने वहांँ खूब मेहनत से दिन-रात कमाया और अपने ऊपर बहुत कम खर्च किया, क्योंकि उसे भी पत्नी द्वारा कहे गए आने वाले कल की चिन्ता थी। दिन गुजरते गए और चार या पांँच माह गुजर गए पर पति के वहांँ से कोई भी आता-पता नहीं आया, कि काम चल भी रहा है अथवा नहीं।
एक दिन मौसम बहुत सुहावना था और उसकी छठा बहुत निराली लग रही थी। उस दिन का मौसम ऐसा लग रहा था, कि स्वर्ग का दृश्य घर पर ही हो। घर बैठे अकेली पत्नी सोच रही थी, काश ऐसी सुहावने मौसम में वे मेरे साथ होते तो कितना अच्छा होता। यह कहकर उसकी आंँखों से अचानक इस समय खुशी के आंँसू आने लगे क्योंकि अचानक उसका पति उसे आते हुए दिखाई दिया। दोनों ने एक दूसरे को प्यार से गले लगाया। दोनों का काफी दिनों के बाद मिलना पति-पत्नी को काफी अच्छा लगा।
पति कमाकर ₹10000 लाया था। उसने अपनी पत्नी से मिलने के बाद ₹10000 की गड्डी पत्नी को दी और देकर बाहर दोस्तों से मिलने चला गया। पत्नी जो उस समय खाना बना रही थी, उसने नोटों की गाड्डी अपनी साड़ी में ही रख ली और भूल गई, कि मैंने नोटों की गड्डी रखी थी। जैसे ही वह चूल्हे से रोटी पकाकर उठी वह रूपयों की गड्डी दहकते चूल्हे के अंगारों पर गिर गई। पत्नी का ध्यान गड्डी पर तब गया, जब वह पूरी तरह जलकर वह राख हो चुकी थी।
पत्नी बुरी तरह डर से कांँपने लगी और सोचने लगी, कि आज उसका पति उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा क्योंकि बहुत मेहनत से और कई महीनो में उसने यह रुपए कमाकर उसे दिए थे। यह बात मन में सोचकर वह घर के अंदर जाकर फांँसी लगाने (मरने की तैयारी) करने लगी। वह फांँसी का फंदा, जो उसने अपनी साड़ी से बनाया था, लगाने ही वाली थी, कि अचानक उसी समय उसका पति आ गया और बोला, “कहांँ हो प्रिय तुम और क्या कर रही हो?” पत्नी डरती हुई मगर पति को कुछ भी महसूस न हो ऐसा मुंँह बनाकर बाहर आई और बोली कि, “मैं कुछ नहीं, आपका इंतजार कर रही थी।”उसने पति को भी पैसों के जलने की बात नहीं बताई। इतने पत्नी-पति से कुछ कह पाती, उससे पहले अचानक अंदर से डरावनी आवाजें उसे बुलाने लगी, कि जल्दी आजा! मैं तुझे लेने के लिए आयी हूंँ। पति ने चारों ओर घर के अंदर-बाहर देखा, लेकिन कोई भी दिखाई नहीं दिया और आवाज पहले की ही तरह से आती रहीं। जब आवाज आना बंद नहीं हुआ तो पति ने दूसरे कमरे में रखा तमंचा निकाला और गोली चलाने के लिए आगे बढ़ाया। उसने देखा अचानक पत्नी सामने आ गई। पत्नी को उसने सामने से हटाया और फिर तमंचा चलाने की कोशिश की, तो फिर पत्नी सामने आ गई और आवाज पहले की ही तरह आती रही। जब पति बहुत परेशान हो गया तो उसने जिधर से आवाज आ रही थी, हिम्मत के साथ गोली चला दी और उसकी गली अचानक सामने आई पत्नी के सीने में लग गई और वह हमेशा हमेशा के लिए सो गई। अब क्या था सब कुछ खत्म हो चुका था। वह चीखने चिल्लाने लगा। हाय! मैंने ये क्या कर दिया। हाय! मेरी पत्नी, मेरा जीवन साथी मेरा हमसफ़र तू ! मुझे छोड़ कर क्यों चली गई। अब वह अकेला मारा- मारा फिरता और हर समय वह अपनी पत्नी का नाम रटता रहता, क्योंकि वह हमेशा हमेशा के लिए उसे छोड़ कर चली गई, जो उसे हर तरह से प्यार करती थी। समय से खाना खिलाती थी, उसके बिना रहना नहीं चाहती थी। वह सोचता, कि उसने ऐसा क्यों किया, यह उसकी ही गलती है, वह यह भूल चुका था, कि मौत को कोई टाल नहीं सकता, उसका आना निश्चित होता है और यही उसकी पत्नी के साथ हुआ जो हमेशा हमेशा के लिए उसे छोड़कर उससे दूर चली गई।

Loading...