नवनिधि क्षणिकाएँ---
नवनिधि क्षणिकाएँ—
08/06/2025
प्रेम सनातन भावना
जागृत रहता हिय अंतर में
शायद तुमको खबर नहीं।
प्रेम निर्मलता का प्रतीक
मत करिए अवमानना
कलंकित होने से बचायें।
प्रेम प्रत्याशा का नाम नहीं
निःस्वार्थ समर्पित भाव है
ईश के जैसी हो उपासना।
प्रेम तपश्चर्या का नाम है
हार में ही इसकी जीत है
जीतने का गुरूर मत पालो।
प्रेम अंतरमन की संवेदना
ईष्ट के प्रति संकलित स्थिति
अश्रुपूरित आँखों से कभी देखो।
प्रेम एकनिष्ठता का प्रतिरूप
सिर्फ प्रियतम की मोहक छवि
मन को गोपी करना होता है।
प्रेम सत्य का अंतःपुर है
बड़े सौभाग्यशाली हैं वे
जिनको प्रवेश की आज्ञा है।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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