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7 Jun 2025 · 1 min read

स्तब्धता

मैं बढ़ी उम्मीद से
अपना भय, दुख , और घुटन लेकर
तुझसे मिलने आई थी ,
मुझे विश्वास था
तू
मेरा दुख ज़रूर हर लेगा
पर, तुझे देखते ही –
मेरा स्वर अवरुद्ध हो गया
तेरे घर में
हर ओर
सौंदर्य छाया था
आसमान
मैं तेरे कौन से कोने में रखती
अपना भय
अपना दुख
अपनी घुटन ?

——शशि महाजन

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