जाने दो जाने वालों को क्यों अब आंसूओं का दरिया बहाते हो।
जाने दो जाने वालों को क्यों अब आंसूओं का दरिया बहाते हो।
छोड़ो अब झूठी आस पर जीना क्यों खुद को दर्द का भागी बनाते हो।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”
जाने दो जाने वालों को क्यों अब आंसूओं का दरिया बहाते हो।
छोड़ो अब झूठी आस पर जीना क्यों खुद को दर्द का भागी बनाते हो।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”