हक़ीक़तों से परे साथ अभी है वो भी।
#मुक्तक
😞 न ख़ता, न पता।।
(प्रणय प्रभात)
“अजीब बात रही ज़िंदगी अजीब हुई।
ख़ता रही कि नियत में रही ख़ता ही नहीं।।
हक़ीक़तों से परे साथ अभी है वो भी।
ये और बात उसे बात ये पता ही नहीं।।”
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संपादक
न्यूज़&व्यूज
(मध्यप्रदेश)