क्या हुआ जो राफेल ना चला!
क्या हुआ जो राफेल ना चला,
खरीदने में हीलाहवाली से ही,
एक सरकार चली गई,
दूसरे ने आकर बात आगे तो बढाई,
पर मात्रा में कर दि घटाई,
कहाँ तो एक सौ छब्बीस थे,
कहाँ घट कर छत्तीस रह गए,
इस पर भी खूब माथापच्ची चल गई,
कीमत से लेकर संख्या तक,
आरोप प्रत्यारोप में मर्यादाएं भी टूटि,
आखिर राफेल आया तो,
पर,
निंबू मिर्ची के साथ आया,
पूरे विधि विधान के साथ लाया,
पर यहां भी बहुत तसल्ली कहाँ मिली,
बात सर्वोच्च न्यायालय में चलि गई,
यह तो शुक्र था की न्यायालय ने,
राष्ट्र हित में फाइल बंद कर दी,
जब देखो तब राफेल हि राफेल,
चुनावी चर्चा में भी राफेल,
पर फिर देश के देशभक्ति ने लाज रख दी,
और सरकार को भी राहत मिल गई,
अब राफेल ज्यों ही पृष्ठ भूमि में गया,
तभी पहलगांव में कुछ घट गया,
बहुत दुखी मन से ,
बदला लेने की मांग बढ गई,
फिर क्या था,
पक्ष विपक्ष एक राय हो गया,
बदला लेने का दबाव बन गया,
बदला लिया भी गया,
और ऐसा लिया,,
कि सामने वाले को समझ आ गया,
उनकी एक नहीं चल रह थी,
तो आका के सामने गिडगिडाए,
आका ने आकर मिसाइल चलाये,
वह कर दिया जो उम्मीद न थी,
राफेल की रफ्तार रोक दि,
अब राफेल का क्या दोष,
जो चला कर भी ना चला,
पर नाम तो चल रहा,
कितने गिरे कितने गिरे,
का शोर निकल पडा,
राफेल ना चल कर भी,
है चल रहा,
संघर्ष फिलहाल टल गया,
तो यह भी सही हुआ,
एक तो हमें भी समय मिल गया,
दूसरे उनको भी समय के साथ साथ ,
नुकसान होना बच गया,
अब दोनों को आत्मावलोकन करना चाहिए,
और हमें भी राफेल की चर्चा से बचना चाहिए!
आइए आइये,
जो एकता का भाव बना था,
उसको आगे बढाईऐ,
इस तरह आपस में ही,
गुथम गुथा मत हो जाइये!!