नवनिधि क्षणिकाएँ---
नवनिधि क्षणिकाएँ—
06/06/2025
तू किसी की अमानत है
तुमको ये पता हो दोस्त
यूँ न मुझसे तू दिल लगा।
मेरी अमानत तू क्या जाने
क्या मायने रखती है मेरे लिए
किसी की अमानत बन के देख।
चोरी हो गई अमानत
ये तेरी लापरवाही थी
उस जैसा कहाँ से लायेगा।
सौंप रहा हूँ ये अमानत
हिफाजत तेरी जवाबदेही
खयानत नहीं करना तू।
वीर शहीदों की अमानत पर
कोई आँच न आने पाये
मुस्तैदी से रखवाली कर।
गरीबों की अमानत थी
डकार गया अरे दुष्ट
तू चैन पायेगा कहाँ।
सँभालकर रखा है मैंने
जान की बाजी लगाकर
तेरे पुरखों की अमानत।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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