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6 Jun 2025 · 1 min read

बताओ तो !

तूने देखा है
युगों से
पीढ़ियों को
जीते और मरते हुए
तेरी छत्रछाया में
यहाँ मानवों ने
अपना इतिहास
बनाया बिगाड़ा है
युगों से
तू
इस तरह
हर परिवर्तन को देता आया है
अपना स्नेह
अपनी सुन्दरता
आकाश
कहाँ से पाया तूने
यह अटल विश्वास
कहाँ है तेरे प्रेम की
प्रेरणा का पुंज ?

शशि महाजन-लेखिका

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