पृथ्वी है वरदान🌍 रचनाकार अरविंद भारद्वाज
विश्व पर्यावरण दिवस के पावन अवसर पर मेरी मौलिक रचना-
पृथ्वी है वरदान🌍
🏝🏔⛰🏞🏝
तुझे भूमि, कहूँ या अचला
तुझे धरा कहूँ, या वसुंधरा।
जीवन तुझ पर ही, पाया
जग जननी धरा, तेरी माया।।
🏝🏔⛰🏞🏝
नदिया नालें, तू बिछाए
आँचल में, रत्न छुपाए।
पाप और पुण्य, तुझ पर हैं
संसार का, बोझ उठाए ।।
🏝🏔⛰🏞🏝
तेरे आँचल की, ठंडी छाँव में
सारा ये, जग है समाया।
नर नारायण, यहाँ जन्मे
होती है, तुझ पर ही माया।।
🏝🏔⛰🏞🏝
जगमग करती, तू वसुधा
जब रवि की, किरणें आएं।
पंछी चहचहाते हैं, तुझ पर
और फूल, यहाँ मुस्काए।।
🏝🏔⛰🏞🏝
सब कुछ करती, तू धारण
धरणी भी, नाम कमाए।
जग जननी, नाम है तेरा
जगती भी, तू कहलाए।।
🏝🏔⛰🏞🏝
आज, मानव की करनी से
संकट तुझ पर, मंडराया।
अंधाधुंध, होड़ लगी है
अब जान पे, संकट आया।।
🏝🏔⛰🏞🏝
घृणा और लोभ की, होड़ नें
तुझ पर, मानव लड़वाया।
दोहन हो गए, संसाधन
जीवों पर, संकट आया।।
🏝🏔⛰🏞🏝
तुझ पर ही, जीवन संभव
कहीं और ना ये हो, पाया।
मानव थोड़ा, सा सँभल जा
कवि अरविंद ने समझाया।।
🏝🏔⛰🏞🏝
रचनाकार: ( अरविंद भारद्वाज)