चिंतित है विज्ञान
अतिशय गर्मी बढ़ रही,व्याकुल सकल समाज।
जीव जन्तु भी प्यास से,तड़पें देखो आज।
तड़पें देखो आज,ताप लख हो हैरानी।
बढ़े ताप का राज,करे मानव मनमानी।
बढ़ा प्रकृति संहार,त्याग संतति जीवन भय।
चिंतित है विज्ञान,सृष्टि संकट में अतिशय।।
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम