रूठ जाने की
मुक्तक
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न बातें रूठ जाने की किया करना।
सिला हर बात का सुन्दर दिया करना।
रहे मुस्कान मुखड़े पर खिली हर पल।
प्रतीक्षा भी खुशी से कर लिया करना।
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बहेंगी खूब नदियां मेघ बरसेंगे।
महक सौंधी लिए सब छोर महकेंगे।
मिलेंगी ग्रीष्म से राहत हमें कुछ पल।
घटा के संग बादल नित्य गरजेंगे।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ३१/०५/२०२५