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31 May 2025 · 1 min read

नवनिधि क्षणिकाएँ---

नवनिधि क्षणिकाएँ—
31/05/2025

फूलों की खुशबू इत्र की मोहताज नहीं
ऐसे ही सच्चे कर्मठ लोगों को
किसी प्रशंसा की जरूरत नहीं पड़ती।

फूलों की तरह बनना है तो
जहाँ अनुकूलता मिलती है
बिना परवाह किये वहाँ खिल जाओ।

जो फूलों को पसंद करते हैं
काँटों से घृणा नहीं करते
उन्हें पता होती है काँटों की अहमियत।

अरे कलियों को मसलने वाले
अपने गिरेबान में जरा झाँक
बदनियत तेरे घर पर मँडराने लगे हैं।

फूलों की रखवाली कर
महकने का अवसर दे
ये तुझे धन्यवाद देंगे।

फूलों की इच्छा तुम क्या जानो
कभी बातें करो तो जानोगे
वो तुमको जीना सिखाते हैं।

फूल हूँ मैं तेरे उपवन का
कभी तोड़ना नहीं मुझको
अथाह पीड़ा होती है तने से बिछुड़ने में।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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