Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
31 May 2025 · 1 min read

कौन से रिश्ते निभाती हो

तुम एक बच्चे की माॅं हो फिर भी देखती मेरी राह हो,
मिलते ही कहती हो का हो हाल-चाल ठीक बा हो।

पता नहीं तुमको मुझसे क्या मिलता है?
पर मुझे देखते ही तेरा चेहरा खिल उठता है।

तुम अपने हर कामों में मुझे आगे बढ़ाती हो,
ना कहने पर घरवाले के जैसे लड़ जाती हो।

कहीं भी किसी के सामने बोलती हो चलिए मेरे साथ।
हम कहते, यार तुम्हारे हमारे बीच लोग कैसे-कैसे करेंगे बात?

फिर भी नहीं मानती हो जोर जबरदस्ती करती हो,
मैं आगे बढ़ता हूं तभी तुम पीछे से बढ़ती हो।

हंसी मजाक तुम हमसे खूब कर लेती हो,
लेकिन कभी ज्यादा होने पर डांट भी देती हो।

समझ नहीं आता कि तुझे क्या कहूं? क्या ना कहूं?
हम तुझसे दूर रहूं या तुम्हारे पास रहूं।

तुम हमपे अपना पूरा अधिकार जमाती हो,
पता नहीं तुम हमसे कौन से रिश्ते निभाती हो?
—–०००—–
@जय लगन कुमार हैप्पी
बेतिया, बिहार।

Loading...