2-3 जून 1977 शहीद दिवस
शहीद कामरेड जगदीश भाई
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छत्तीसगढ़ माईन्स श्रमिक संघ के उपाध्यक्ष शहीद कामरेड जगदीश भाई मेहनतकश मजदूरों के प्रेरणा-सितारा बनकर राजहरा माईन्स के लड़ाकू मजदूर वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष का रास्ता दिखा गये। 2 जून 1977 की रात के अंधेरे को चीरती हुई पुलिस की गोली 27 वर्षीय नौजवान जगदीश भाई की छाती के आर-पार हो गयी। दल्ली राजहरा के मजदूर मार्च 1977 से जिस जुझारूपन के साथ आंदोलन चलाते आ रहे थे उस संघर्ष की हर घड़ी में शहीद जगदीश भाई ने दिलोजान से भरपूर अगुवाई की। पूँजीपति ठेकेदारों के निर्मम शोषण के खिलाफ पिछले एक दशक से शहीद जगदीश भाई के दिल में चिनगारी भड़क रही थी। और उन्होंने उस चिनगारी को अपने खून की नदी के रूप में बहाकर आग में बदल दिया। यह आग आज पूरे छत्तीसगढ़ के गरीब मजदूर किसान को शोषणरहित छत्तीसगढ़ का निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
पचहत्तर वर्ष पूर्व शहीद कामरेड जगदीश जी ने राजनांदगाँव जिले के छुईखदान ग्राम में गरीब मजदूर भगीरथी के परिवार में जन्म लिया। बचपन से ही वे अपने पेट की आग बुझाने के लिए मजदूरी करने लगे। दल्ली राजहरा की लौह अयस्क खदान में कमर्शियल ट्रांसपोर्ट कम्पनी में ट्रक मजदूर के रूप में कार्यरत थे। अपनी जिंदगी के अंतिम क्षणों तक राजहरा के मजदूरों की माँगों को हासिल करने के लिए हर समय अपने त्याग का अनोखा परिचय देने वाले स्वर्गीय जगदीश की एक तीन-वर्षीय पुत्री एवं दो छोटे भाई हैं। उनकी विधवा पली श्रीमती हेमवती आज भी अपने स्वर्गीय पति के अमर संघर्ष की कहानी याद करती रहती हैं और मेहनतकश मजदूर वर्ग को कुर्बानी के रास्ते पर ही चलने की सलाह देती है।
छत्तीसगढ़ के किसान-मजदूर आंदोलन को मजबूत एवं व्यापक बनाने के लिए शहीद कामरेड जगदीश जी ने अपनी जान को कुर्बानी की वेदी पर चढ़ाते हुए सर्वहारा वर्ग की लड़ाई में अहम भूमिका निभायी।
ऐसे जांबाज लड़ाकू साहसी निडर साथी
शहीद कामरेड जगदीश भाई को लाल सलाम
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राम चरण नेताम
महामंत्री
छत्तीसगढ़ माईंस श्रमिक संघ
दल्ली राजहरा