समय का मूल्य
मूल्यवान होता समय,रखें सदा हम याद।
अतिशय निद्रा में इसे,करें नहीं बर्बाद।।
मूल्यवान है मम समय,रखते जो यह ध्यान।
नियत समय सब कर्म कर,पाते धन यश मान।।
मूल्य समय पहचान कर,करते ज्ञानी कर्म।
हाथ सफलता निज रखें,सिद्ध हस्त है मर्म।।
ज्ञानी ध्यानी संत जो,करें समय लख कर्म।
दिव्य शक्ति उनकी बढ़े,ग्रंथ बताते मर्म।।
सत्य कर्म अरु सत समय,मानव उन्नति राज।
समझे जो इस सार को,सजता उसका साज।।
ओम समय के मूल्य का, करता उचित बखान।
उन्नति चाहे जो मनुज,रखे समय का ध्यान।।
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
शिक्षक व साहित्यकार
तिलसहरी, कानपुर नगर