मेरी परी
सुना था परियों के पास एक जादुई छड़ी होती है। आप जो माँगें, वह परी छड़ी घुमा कर दे देगी। यह सब सुनी सुनाई बातें कहाँ सच होती हैं। क्या परियों की दुनिया हमारी दुनिया से अलग होती है, या फिर हमारे में से ही कोई परी होती है? क्या मालूम।
जब मेरी पोती नेहा का जन्म हुआ और उसे मैंने गोद में लिया तो लगा जैसे सचमुच ही मेरी गोद में कोई परी आकर मुस्कुरा कर कह रही हो मेरे पास जादू की छड़ी है। उसे अपने सीने से लगाया तो लगा ज्यों किसी अदृश्य जादू की छड़ी से उसने मुझे तनाव मुक्त कर दिया हो।
उसका स्पर्श और आवाज़ दोनों ही मेरे लिये जादू की छड़ी हैं।
मुझे सदैव ही संगीत में रूची रही है परन्तु न कभी सीखा और कभी गाया। मैंनें नेहा से कहा कि मेरा भजन सीखने का मन करता है पर मैं गा नहीं सकती। तब नेहा छ: बरस की थी। उसने अपनी मधुर आवाज़ की छड़ी घुमाते हुये कहा कि “ आप बिल्कुल सीख सकती हैं और गा सकती हैं”। मैंने सीखना शुरू किया और भजन गाने लगी। कभी भी कोई परेशानी होने पर उसे एक बार सीने से लगाते ही परेशानी उड़ किसी और दुनिया में चली जाती।
समय अपनी गति से चलता रहा मेरी परी की जादुई छड़ी की शक्ति में कोई अन्तर न आया। अब वह अमेरिका में रहती है इस कारण उसका स्पर्श तो बहुत नहीं मिल पाता। इसलिए मेरी परी अपनी मीठी जादुई आवाज़ में गाने रिकार्ड कर भेज देती है। उसके गाने सुनती हूँ तो लगता है मानो कह रही हो, ” दादी, आपकी परी हमेशा आपके पास है”, और मैं कह उठती हूं,” हाँ मेरी परी तुम अपनी जादुई छड़ी के साथ सदा मेरे साथ हो”।
इस दुनिया की ही है परी मेरी !