बदलाव तुमसे है (एक प्रेरणात्मक कविता)
नवयुवक हो, तो ठहरना कैसा,
चलो वहाँ, जहाँ खामोशी भी बोल उठे ऐसा।
हर अंधेरे में तुम उम्मीद की लौ बनो,
हर चुप्पी में बदलाव की आवाज़ बनो।
किताबों से बाहर एक जीवन है,
जहाँ सपनों की धड़कनों में यकीन है।
उन पन्नों से आगे भी कई रास्ते हैं,
जहाँ इरादे हथियार से ज़्यादा सशक्त होते हैं।
तुम वो लहर हो जो किनारे बदल सकती है,
तुम वो सोच हो जो ज़माने की दिशा मोड़ सकती है।
हर चुनौती में अवसर की तलाश रखो,
गिरकर भी मुस्कराओ — यही विश्वास रखो।
दुनिया तुम्हें परिभाषित नहीं करेगी,
जब तक तुम ख़ुद को परिभाषित नहीं करोगे।
दूसरों के नक्शों पर चलना छोड़ो,
अपने क़दमों के निशान खुद बनाओ — यही संकल्प ठानो।
जिंदगी कोई तैयार पटकथा नहीं है,
यह तो तुम्हारे कलम से लिखी जाती कहानी है।
हर ठोकर एक पाठ है, हर आँसू एक प्रेरणा,
हर हार से बड़ी होती है एक नयी शुरुआत की भावना।
भीड़ के साथ बहना सबसे आसान होता है,
पर अकेले सही राह चुनना — यही महान होता है।
सपने सिर्फ़ आँखों में नहीं पलते,
वे हिम्मत, मेहनत और जुनून से ढलते।
युवाओं! तुम हो सुबह की पहली किरण,
तुमसे ही जागेगा नया युग, नई धरती, नया गगन।
बदलाव की शुरुआत तुमसे है —
हाँ, तुमसे ही है वो क्रांति जो आज ठहरी है।
– कृष्ण सिंह